Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -24-May-2023... एक सफ़र ऐसा भी..

वैसे तो जिंदगी से मुझे कोई शिकायत नहीं थी..। सब कुछ ठीक ही चल रहा था...। हमारे भारतीय घरों में ज्यादातर शादियां तो सिर्फ इसलिए चुपचाप निभाई जाती हैं.... क्योंकि बच्चों का भविष्य दांव पर होता हैं...। एक अकेली औरत का, तलाकशुदा औरत का समाज में बच्चों के साथ रहना कितना मुश्किल होता हैं... वो किसी को बताने की जरूरत ही नहीं... ओर उसपर भी अगर बच्चे फिमेल हो... यानि बेटियां हो तो बहुत मुश्किल हैं..। मेरे ओर अमन के बीच की शादी भी ऐसे ही निभाई जा रहीं थीं..। लेकिन मैं इसमें भी खुश थीं...। 

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अमन शादी से पहले किसी से प्यार करते थे.... लेकिन परिवार वाले नहीं माने...वजह... वहीं घिसीपिटी.... जाति, धर्म, खानदान...। विरोध तो अमन ने बहुत किया पर फिर मम्मी जी को हार्ट अटैक आ गया... जिसकी वजह से उनको अपने प्यार को भूलकर... मुझसे शादी करनी पड़ी...। पति पत्नी जैसा साधारण सा रिश्ता ही चल रहा था हमारे बीच...। लेकिन प्यार जैसी कोई बात नहीं थीं...। मै उनके परिवार को संभालती थीं... बदले में वो मेरी जिम्मेदारी उठाते थे...। सब कुछ साधारण सा...। हमारे बीच बातचीत और साथ घुमने फिरने, कही आने जाने, किसी से मिलने मिलाने जैसा कुछ नहीं था..। यूँ समझों एक खामोशी में हमारा रिश्ता साल दर साल सीढ़ियां चढ़ रहा था...। 
लेकिन आज आठ सालों बाद मेरे छोटे भाई की शादी हो रहीं थीं...। अमन पहली बार बच्चों के ओर मेरे साथ मेरे मायके.... यानि अपने ससुराल चल रहें थे..। अमन ने इस सफर के लिए भी बहुत आनाकानी की... पर कहते हैं कभी कभी मजबूरी हमसे बहुत कुछ करवा देतीं हैं...। 

यूं तो हर बार अमन मुझे अकेले ही भेज देते थे...। शायद अमन के साथ ये मेरा पहला ट्यूर था....। इसलिए मैं बहुत ज्यादा खुश थीं..। मुझसे ज्यादा मेरी दोनों बेटियां खुश थीं...। सफर बहुत लंबा था... इसलिए अमन ने ट्रेन की टिकिट्स पहले ही करवा ली थी...। 
मैं इस खामोशी से गुजरने वाले सफर को लेकर भी अंदर ही अंदर बहुत रोमांचित हो रहीं थी...। बात ना सही... साथ तो होंगे..।

आखिर कार वो दिन आया... हम चारों अपने सफर के लिए घर से निकल पड़े...। बुंकिग पहले से ही की हुई थीं... इसलिए सीधे ट्रेन में अपने बर्थ में सीटें देखकर हम अपना सामान जमाने में लग गए...। एस तीन में सीट नंबर पच्चीस, छब्बीस और अठाइस.....। यानि दो सीट नीचे की... एक मिडिल की..। मैं और मेरी छोटी गुड़िया जो पांच वर्ष की थीं... हम सीट नंबर पच्चीस... बड़ी बेटी छब्बीस पर ओर ये मेरे सामने वाली सीट अठाइस पर....। 

रात का सफर था... इसलिए खाना खाकर हम सभी सोने की तैयारियों में लग गए...। 
अगले दिन दोपहर तक हमें सफर करना था...। इसलिए थोड़ा आराम भी जरूरी था...। 
रात के तकरीबन ग्यारह बजे होंगे .... दोनों बच्चियाँ ओर अमन सो चुके थे...। लेकिन पता नहीं क्यूँ मुझे नींद नहीं आ रहीं थीं...। अभी थोड़ी देर ही हुई थीं की ट्रेन एक प्लेटफार्म पर रुकी और एक मेरी ही उम्र की औरत प्लेटफार्म से चढ़ कर हमारे बर्थ में आई...। उसने आकर लाइट्स ओन की... ओर हमारे सामने मौजूद सीट नंबर इकतीस... के नीचे अपना सामान रखने लगी...। 
अपने सामान से उसने एक पतली सी शाल् निकाली ओर अपने कानों में मोबाइल की हैंड्स फ्री निकाल कर बैठ गई....। पता नहीं क्यूँ पर मैं उसे बड़े गोऱ से देख रहीं थीं... ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उसे कहीं देखा हैं...। पर ठीक से याद नहीं आ रहा था...। थोड़ी देर में उसने लाइट्स भी ओफ कर दी ओर विचार करते करते मैंने अपनी आंखे बंद कर ली..। 

मुझे नींद तो नहीं आ रहीं थी पर आंखें बंद कर सोने की भरसक कोशिश कर रहीं थीं...। एकाएक एक आवाज से मैंने आंखें खोली...। देखा तो अमन पानी पीने के लिए उठे हैं...। पानी पीकर वो अपना मोबाइल चलाने में व्यस्त हो गए....। 

मैंने फिर से आंखें मूंद ली...। 
अचानक सामने वाली औरत ने फिर से लाइट ओन की शायद उसे अब सोना था ओर वो उसका ही सामान निकाल रहीं थीं...। 
एकाएक अमन की आवाज आई... एनी....। 

मैंने आवाज सुनी ओर आंखें खोलकर देखा तो अमन सामने वाली औरत की तरफ़ जा रहें थे...। 
एनी.... ये नाम सुनकर मैं समझ गई की वो औरत मुझे जानी पहचानी क्यूँ लग रहीं थीं...। 

एनी डिसूजा... अमन का पहला प्यार.... जिसका फोटो अमन के लेपटॉप की स्क्रीन पर मैंने कई बार देखा था...। 
मैं सारा मामला जानकर भी अनजान बनकर अपनी आंखें मूंदकर बैठ गई...। 


अमन..... तुम..... 

एनी... तुम... यहाँ....!! 
कैसी हो तुम.... तुम तो बिल्कुल भी नहीं बदलीं हो...। 

हम्मम.... लेकिन तुम बहुत बदल गए हो...। 

सच...। 

हाँ... तुम्हारा पेट निकल आया हैं...! एनी ने मुस्कुराते हुए कहा..। 

ओहह....ऐसा...! 

नहीं यार... मैं तो मजाक कर रहीं हूँ...। तुम बिल्कुल भी नहीं बदले हो...। ओर बताओ.... कैसी चल रहीं हैं लाइफ... सुना था तुमने शादी कर ली...। 

बातें करते करते अमन एनी की सीट पर जाकर बैठ गए....। 


हा.. .... करनी पड़ी... मम्मी की जिद्द... और बिमारी....। 

इट्स ओके यार.... कोई बात नहीं...। वैसे कैसी हैं तुम्हारी वाइफ..। 

ये सामने वाली सीट पर... दो बेटियां भी हैं.... तीनों सो रहीं हैं...। तुम बताओ.... तुमने की शादी...!! 


तुम्हे क्या लगता हैं अमन..? 


सालों हो गए हैं तो शायद.... 

शायद....!! 


कर ली होगी...। 


बस इतना ही जाना तुमने मुझे..... तुमसे वादा किया था... तुम्हारी नहीं तो किसी की नहीं.... आज भी उस वादे पर कायम हूँ.... ओर आखिरी सांस तक कायम रहूंगी....। 

लेकिन.... एनी.... ऐसे कब तक अकेले लाइफ़ काटोगी...। 

जब तक हैं जान....। एनी हंसते हुए बोली..। 

एनी.... ये बात मजाक में टालने की नहीं हैं... मै अपना हर वादा तोड़ चुका हूँ तो तुम भी..... 

नहीं अमन.... प्लीज इतना तो हक रहने दो मेरे पास...। 

हक तो आज भी पूरा हैं तुम्हारा हैं एनी...। 

पक्का....! 

भरोसा नहीं...! 

खुद से ज्यादा हैं अमन....। इसी हक से कुछ मांगू.... तो दोगे...? 

हाँ.... बोलो ना...। 

एक बार अपने सीने से लगा लो अमन..... कुछ देर के लिए ही सही ....सुकून तो मिलेगा...। 

एनी.... वो.... माय वाइफ.... बच्चे....। 

हम्मम....आइ नो.....
आइ एम सारी.... मैं कुछ पल के लिए भूल ही गर्ई थी....। मैं भूल गई थी की मेरा अब कोई हक नहीं हैं तुम पर...। 

ऐसी बात नहीं हैं एनी.... पर मैं मजबूर हूँ...। 


कैसी मजबूरी अमन.....इतना तो हक बनता हैं इनका....।
 मैं सारी बातें सुनकर अचानक बोली....। 


अमन मुझे उठते देख अचानक हड़बड़ा गए....। मैं उनके पास गई ओर बोली :- घबराओ मत अमन.... मैं पहचान गई हूँ इनको.... ओर आप दोनों की बातें भी सुन ली हैं....। एनी.... जैसे तुम आज भी इनसे प्यार करतीं हो.... वैसे ये भी तुमसे बहुत प्यार करते हैं... इन आठ सालों में मैंने आजतक अमन को इतना बात करते हुए नहीं सुना... इनका लैपटॉप हो या मोबाइल का लॉक सब तुम से शुरू होता हैं...। भले ही परिवार के दबाव में इन्होंने मुझसे शादी की हो पर इनके दिल में आज भी तुम ही हो...। हां मैं जानती हूँ ये सब जानने के बाद भी मैं शायद इनको छोड़ ना पाऊँ.... क्योंकि मुझपे दो बच्चियों की जिम्मेदारी भी हैं...। लेकिन मैं तुम्हारे और अमन के लिए इतना तो कर ही सकतीं हूँ...। तुम जब चाहो इनसे बात कर सकतीं हो.... मिल सकती हो ओर सुकून भी पा सकती हो गले लगाकर...। 


ये.... तुम सब.... क्या बोले जा रहीं हो....। मैं ऐसा.... कुछ... नहीं करने.... वाला....। 


हां अमन सही कह रहें हैं..... मैं भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे अमन का भविष्य खराब हो.... उसकी जिंदगी में कोई तकलीफ आए..। आइ एम सॉरी फॉर एवरीथिंग....। 


अमन..... एनी..... प्लीज.....मुझे तुम्हारे रिश्ते से कोई तकलीफ नही हैं...। 
एनी... मैंने अमन को इतना खुश कभी नहीं देखा हैं.... उनके चेहरे पर ऐसी रोनक और चमक आज तक नहीं आई हैं...। मैं पहली बार उनको मुस्कुराते हुए देख रहीं हूँ...। प्लीज...इनकी ये मुस्कान हमेशा बनी रहें... इसलिए मेरी बात मान लो....। 


इतना कहकर मैं वहां से वाशरूम की ओर चल दी....। ओर काफी वक्त तक वहीं रहीं....। मुझे नहीं पता मैंने सही किया या गलत.... लेकिन दिल के एक कोने में बहुत कुछ खोने और बहुत कुछ पाने का अजीब सा एहसास हो रहा था...। जिस सफर को लेकर मैं इतनी उत्साहित हो रहीं थीं.... वो सफर आज अमन को ढेरों खुशियाँ दे रहा था.... ओर उनकी खुशी में मैं खुश थीं..... शायद....!!! 


कुछ वक्त बाद जब मैं बाहर आई तो अमन और एनी चाय के कप साथ में लिए बातें कर रहें थे...। मेरे वहां जातें ही अमन ने मुझे भी चाय पूछी ओर साथ में वहीं बैठने को कहा.... लेकिन मैं नींद का बहाना बनाकर अपनी सीट पर वापस आ गई और झूठ मूठ ही सोने की एक्टिंग भी कर रहीं थीं....। अमन और एनी पूरी रात वहां बैठे अपने गूजरे दिनों की बातें करते रहें....। 

सवेरे बच्चों के उठते ही अमन उनको पहली बार बेहद प्यार से संभाल कर रहें थे...। उनके लिए दूध...बिस्किट.... नाश्ता.... सब कुछ ला रहें थे...। उनको ऐसा देख मैं सच में बहुत खुश हुई.....बीती रात ने अमन को वाकई बदल लिया था...।एनी भी बच्चों से बहुत घुलमिल गई थीं....।

 मैं दिल से इन सबके लिए एनी को शुक्रिया अदा भी कर रहीं थीं...। मेरे आने वाले भविष्य में क्या होगा पता नहीं.... लेकिन अमन में आज आए इस बदलाव के साथ मैंने अपना सफर पूरा किया....। 

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8 Comments

Babita patel

29-Jun-2023 03:01 PM

nice

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Alka jain

04-Jun-2023 12:56 PM

V nice 💯

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madhura

27-May-2023 11:00 AM

nice

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